Diabetes डायबिटीज मूलतः एक faulty लाइफ स्टाइल के वजह से मेटाबॉलिज्म डिसॉर्डर कहा गया है।
✍️ चित्रानुसार – सुबह के समय उठते ही ज्ञानहस्तमुद्रा से स्ट्रैस से बचाव हो – ईटिंग डिसॉर्डर्स से ओवरईटिंग से बचे रहने में सहायता मिलने के फलस्वरूप वजन नियंत्रित रह – डायबिटीज से बचने में सहायता मिलती हैं तथा भोजनुपरांत अथवा समय सुविधानुसार अपानवायु हस्त मुद्रा अभ्यास से मनोशारीरिक डेटॉक्सिफिक्शन होता है तथा पेटतंत्र छेत्र के सभी अंग दुरुस्त रहने सम्भव होते हैं व मेटाबॉलिज्म दुरुस्त रखने में सहायक सिद्ध होना कहा गया है।
👉 थेरॉपटिक मुद्राओं में सुबह खाली पेट – कपालभाति क्रिया सँग 16 मिनट सूर्य हस्त मुद्रा ऐंवम 10 मिनट लिंग हस्त मुद्रा से डायबिटीज के कारक पुअर मेटाबॉलिज्म दुरुस्ती की सम्भवनाएँ बढ़ जाती हैं तथा अनुलोम विलोम करते हुए 16 प्राण हस्त मुद्रा अभ्यास ऐंवम श्रीमन् नरन जी द्वारा निर्देशित रं बं लं दं अथवा ललितम लम्बोदरम बीजमंत्रों के चितंन मनन करने से इम्युनिटी प्राप्ति ऐंवम भूखप्यास पर नियंत्रण संभव है तथा प्राण हस्त मुद्रा अभ्यास से उपरोक्त सभी हस्त मुद्राओं का और भी अधिक मात्रा में लाभ प्राप्त होता बताया गया है।
सँग में मण्डूक आसान व नियमित रूप से सैर व तार्किक लाइफ स्टाइल अपनाने से डायबिटीज पर – 3 से 6 माह के नियमित अभ्यास से – नियंत्रित करना सम्भव कहा गया है।
नोट: इन हस्त मुद्राओं के अभ्यास के दौरान – शरीर में अग्नि तत्त्व के अधिक मात्रा में उत्पन्न होने के कारण – बटरमिल्क, दूध, जूस आदि तरल पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन करने की सलाह दी जाती है। प्राण हस्त मुद्रा – जिसे – पित्त संतुलन हस्त मुद्रा भी कहा जाता है – का अभ्यास भी उपयोगी साबित होना कहा गया है।
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