How To Balance Third Eye Chakra (आज्ञा चक्र)

थर्ड ऑय (आज्ञा चक्र):- जब निचले स्तर के मूलाधार, स्वाधिस्ठान, मणिपुर, अनाहत ऐंवम विशुद्ध पाँच चक्र सन्तुलित हो जायें तो छटा आज्ञा Third Eye चक्र स्वतः ही जागृत हुआ माना जाता है तथा उस अवस्था में, वह स्थिति निम्न प्रकार से वर्णित की जा सकती है:-

सम्मोहन में पैंडुलम इंसान की पीनियल ग्लैंड के पास रखा जाता है ताकि इंसान की ऊर्जा उस ग्रंथि पर इकट्ठा हो जाए और फिर इंसान का दिमाग पूरी तरह काबू में आ जाए।

हमारी रोज मर्रा की जिंदगी में ऐसी बहुत सी बातें हैं, जिनका सीधा रिश्ता उस त्रिनेत्र से है कभी सोचा है की महिलाएं बिंदी क्यों लगाती हैं? बिंदी लगाने का रिवाज शुरू क्यों हुआ?

अगर गौर करें तो बिंदी उसी जगह पर लगाई जाती है, जहां पीनियल ग्लैंड यानी त्रिनेत्र मौजूद है ऐसा माना जाता है की चंचल मस्तिष्क को नियंत्रण में रखने ऐंवम ऊर्जावान बने रहने के लिए लाल बिंदी का इस्तेमाल किया जाता है। सिर्फ यही नहीं पुरुषों में चंदन का तिलक लगाने की परंपरा भी इसी से जुड़ी है ताकि चंदन की ठंडक से इंसान का त्रिनेत्र काबू में रहे यानि हमारे रीति-रिवाजों में पुरानी परंपराओं में भी त्रिनेत्र की शक्तियों को माना गया।
ये बात अलग है कि हम में से बहुत से लोगों को इसकी कोई जानकारी नहीं लेकिन सवाल अब भी वही है कि आखिर तीसरी आंख जागृत कैसे होगी?


कुडलिनी शक्ति सक्रिय कैसे हो?

कुंडलिनी शक्ति से जुड़े बहुत से मिथक हैं, लेकिन जानकारों की मानें तो कुंडलिनी शक्ति को जगाने के लिए किसी सीक्रेट साधना की जरूरत नहीं होती।
निरन्तर साधना अभ्यास से कोई भी कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत कर सकता है व इस के लिए उपयुक्त बीजमंत्रों, सुविधापूर्वक सुखासन, ऐंवम प्राणायाम का प्रयोग किया जाता है।

आखिर कुंडलिनी को जागृत कैसे किया जाए?

थोड़ा सा योग थोड़ी सी साधना और विज्ञान की छोटी सी तकनीक उस दिव्य दृष्टि को जगा सकती है
योग जिसकी ताकत को आप भी पहचानते होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसी योग की एक छोटी सी तकनीक में ही इंसान की सबसे बड़ी शक्ति छिपी है, बस उसी छोटी सी तकनीक के इस्तेमाल से आप कहीं भी कभी भी कुंडलिनी शक्ति को जगा सकते हैं – जो बहुत ही सरल व सहज है।
कुंडलिनी शक्ति आपने देखा होगा कि छोटे बच्चों का पेट एक इंच ऊपर नीचे होता है लेकिन जब हम बड़े होते हैं तो हृदय से सांस लेने लगते हैं व सर्वश्रेष्ठ सांस अगर कहीं है तो वो नाभि है।
विज्ञान के मुताबिक अगर शरीर भी एक मशीन है – तो सांसे उस मशीन की चाबी यानी शरीर की हर प्रक्रिया सांसों से ही जुड़ी है!
अक्सर योग के वक्त हम अपनी सांसों को फेफड़ों तक लाकर ही छोड़ देते हैं, लेकिन योग विज्ञान के मुताबिक अगर उन सांसों को शरीर के निचले हिस्से यानी मूलाधार चक्र तक महसूस किया जाए तो इंसान कुंडलिनी शक्तियों को जगाने की तरफ पहला कदम रख सकता है।
सारी बॉडी का सिस्टम डिपेंड नाभि पर है श्वांस लंबी होनी चाहिए।
नाभि की नीचे तक श्वास आनी चाहिए रोजाना का श्वास लेते समय नाभि तक का श्वास आना चाहिए।
थोड़ा योग अभ्यास कर लें, षट्चक्र बीजमन्त्र, अनुलोम विलोम कर लें। मतलब की योग के वक्त ध्यान को केंद्रित करना होता है।
ये महसूस करना होता है की हमारी सांसे नाभि के केंद्र तक प्रहार कर रही हैं।
अगर कोई इंसान लगातार इस योग का अभ्यास करे – आसन में बैठे तो सर्वश्रेष्ठ अथवा सुविधानुसार जब कभी भी दिन में कहीं भी कभी भी अवसर प्रदान हो तो
इस छोटी सी तकनीक का इस्तेमाल करें तो कुछ वक्त बाद ही इंसान को अपनी शख्सियत में बदलाव महसूस होने लगेगा, धीरे-धीरे आपको महसूस होगा कि आपकी सारी ऊर्जा माथे के इस केंद्र पर आ रही हैं इस योग साधना से ही आज्ञा चक्र जागृत होगा और आप महसूस करेंगे कि आपके दिमाग में सिर्फ वही विचार हैं जो आप चाहते हैं।

दिमाग में सिर्फ वही तस्वीरें उभरेंगी जो आप देखना चाहते हैं। आपको दूर की आवाज भी साफ सुनाई देगी आप किसी इंसान को एक नजर देखेंगे और वो आप की सकारात्मक ऊर्जा से प्रभावित हो आपका दीवाना हो जाएगा। इस ऊर्जा के सकारात्मक उपयोग से आप जो चाहते हैं, आप के प्रयत्नों से वो आसान होने लगेगा – वो चाहे फिर पैसा हो अथवा आप बीमारी से मुक्ति चाहते हैं – तो मुक्ति मिल जाएगी। आप तरक्की चाहते हैं वो भी आ जाएगी।
सिर्फ इसलिए क्योंकि अब आप वही करेंगे जो आप करना चाहते हैं – आपका दिमाग सिर्फ वही बोलेगा
जो आप सुनना चाहते हैं – यही है वो योग जिसे साधु-संतों को करिश्माई शक्तियां दीं।
यही है वो रहस्य जो दुनिया के हर महामानव की कामयाबी का राज बना है

जब निचले स्तर के मूलाधार, स्वाधिस्ठान, मणिपुर, अनाहत ऐंवम विशुद्ध चक्र चक्र सन्तुलित हो जायें तो छटा आज्ञा Third Eye चक्र स्वतः ही जागृत हुआ माना जाता है तथा उस अवस्था में, वह स्थिति निम्न प्रकार से वर्णित की जा सकती है:-

Balancing Third Eye Chakra with chanting of OM ॐ:-Om is a seed sound for the brow chakra. This is where our feminine and masculine currents meet. The sound Om activates the brow chakra. Om is the name of the state of being where we unite with the spirit of God making our existence liberated and immortal.

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