How To? Interlock all the fingers from both the hands, while keeping either of the left or the right thumb straight.
Uses: 16+ Minutes Practice of Linga mudra along with Pran Mudra – that gives strength to the previously done complimentary mudras or may be called as a finishing cum healing and immunity provider mudra which may control Cold with or without running nose, Asthma, Cough, Sinusitis, Dried Phlegm, Cervical Spondylosis, Obesity by producing necessary Heat in the body which Lubricates all the Organs! During a Polluted Cold Season, we may get afflicted with cold. To fight this, Linga Mudra is an excellent way of generating heat in the body. This Heat also obstructs the growth of ‘Ama,’ a toxic substance that leads to the culmination of fat and hampers the process of digestion. It also accelerates ones Metabolism rate which helps in better digestion and keeping weight under control.
The thick phlegm produced and deposited inside the lungs will be converted into liquid form by the Linga Mudra and will be sent to the Hara Chakra (the chakra that handles water element). This will be thrown out of the body by practicing the Pushsn Mudra Version 2 & Safe and Secure Mudra (Pran Mudra)! In addition, it balances our energy burning metabolism rate to maintain optimum body weight, protects against colds and releases chilla and energises to strengthen our immune system and may help move beyond impotence, frigidity or lack of passion!
NB: Use of Linga Mudra along with Kuber & Pran Hasta Mudras and Chanting Beejamantras for Making Best Use of Ones Un or Under Utilised Talent:-
If someone is not able to do show talent and don’t know how to come out of this impasse (गतिरोध/अवरोध), then the Psyco-somatic energy activation required for accepting & facing the job challenges with the help of practicing Linga Mudra along with Kuber & Pran – (the Safe & Secure) Mudras could help one to unfold all the creativity in a person and makes the doors open. By practicing Kuber mudra – the energy get circulated in all the organs helping to become dynamic and harmonious due to the activation of Air Element of Heart chakra and Ether Element of Throat chakras in this process and becoming safe & feel secure is the outcome of practicing Pran mudra where Earth element offers the Motherly protection and Water Element helps one becoming emotionally matured. Chanting of Beejamantras like ॐ ललितं लम्बोदरं clears the blockages, which were becoming hindrance in ones materialistic, social, emotional and or spiritual journey due to ones “Prarabdh”
This way – to earn a handsome livelihood, ones ideas could also be marketed easily. This is also applicable in case of the talented house wives looking for a suitable opportunity to cash their unutilized talent.
A Word of Caution:
Practice the Linga Mudra in moderation in Summer Hot Weather and specially in case – if someone already possessing a Pitta dominating body constitution.
In addition, please increase the intake of fluid diet like water, juices or milk etc during the practice days and stop practicing this mudra once the desired aim is fulfilled!
Linga Mudra in Hindi – Steps and Benefits लिंग मुद्रा विधि, लाभ और सावधानियां लिंग मुद्रा क्या है :- यह मुद्रा पुरुषत्व का प्रतीक है इसीलिए इसे लिंग मुद्रा कहा जाता है। लिंग मुद्रा का अभ्यास शरीर में गर्मी बढाने के लिए किया जाता है। खाँसी और कफ को जड़ से मिटाने के लिए ये सबसे अधिक प्रभावशाली मुद्रा है। इस मुद्रा को करने के लिए अपने दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाकर अंगूठे (बायां या दायां कोई एक) को सीधा रखना होता है। इस मुद्रा का आभ्यास शर्दी में बहुत किया जाता है। गृहस्थ जीवन में लिंग मुद्रा के प्रयोग से आप अपने शरीर की अनावश्यक कैलोरी को हटाकर मोटापे को कम कर सकते हैं शरीर में अधिक सर्दी महसूस होने या शीत बाधा होने पर लिंग मुद्रा के प्रयोग से शीघ्र लाभ होता है इसे अधिक देर तक करने से सर्दियों में भी पसीना आता है। चलिए जानते हैं इसके फायदे और इसके करने की विधि : लिंग मुद्रा करने की विधि :- 1- सबसे पहले आप जमीन पर कोई चटाई बिछाकर उस पर पद्मासन या सिद्धासन में बैठ जाएँ , ध्यान रहे की आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी हो। 2- अब अपने दोनों हाथों की अँगुलियों को परस्पर एक-दूसरे में फसायें एक अंगूठे को सीधा रखें तथा दूसरे अंगूठे से सीधे अंगूठे के पीछे से लाकर घेरा बना दें। 3- आँखे बंद रखते हुए श्वास सामान्य बनाएँ। 4- अपने मन को अपनी श्वास की गति पर व मुद्रा पर केंद्रित रखिए। 5- और इस अवस्था में कम से कम 16 मिनट तक रहना चाहिये। लिंग मुद्रा करने का समय व अवधि :- इसका अभ्यास हर रोज़ करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। सुबह के समय और शाम के समय यह मुद्रा का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं।वायु मुद्रा का अभ्यास प्रातः एवं सायंकाल को 16-16 मिनट के लिए किया जा सकता है। लिंग मुद्रा से होने वाले लाभ :- 1- इसका नियमित अभ्यास करने से साधक में स्फूर्ति एवं उत्साह का संचार होता है। 2- यह मुद्रा व्यक्ति के ब्रह्मचर्य की रक्षा करती है। 3- व्यक्तित्व को शांत व आकर्षक बनाती है। 4- शर्दी से बचने के लिए यह मुद्रा बहुत ही लाभदायक है। 5- इसको करने से सर्दी से होने वाले बुखार से राहत मिलती है। 6- इस मुद्रा के प्रयोग से स्त्रियों के मासिक स्त्राव सम्बंधित अनियमितता ठीक होती हैं। 7- नजला,जुकाम, साइनुसाइटिस,अस्थमा व निम्न रक्तचाप के रोग नष्ट हो जाते है। 8- इसके नियमित अभ्यास से अतिरिक्त कैलोरी बर्न होती हैं। 9- शरीर से बजन कम होता है। 10- टली हुई नाभि पुनः अपने स्थान पर आ जाती हैं। 11- यह मुद्रा श्वसन तंत्र को मजबूत करती है। 12- यह मुद्रा बलगम व् खांसी की समस्या का निवारण करती है। 13- यह छाती की जलन की समस्या से निजात दिलाती है। 14- फेफड़ों को शक्ति प्रदान करती है। लिंग मुद्रा में सावधानियाँ :- यह लिंग मुद्रा खाली पेट करनी चाहिए। इस मुद्रा को करते समय आपका ध्यान भटकना नहीं चाहिए। जिन को पित्त किब समस्या है वो लोग इस मुद्रा को न करे। गर्मी के मौसम में इस मुद्रा को अधिक समय तक नहीं करना चाहिए।