स्वाधिस्ठानचक्र को संतुलित कर, हमारे आलस्य को दूर करने में उपयोगी है- ऊषा मुद्रा ! उषा हस्त मुद्रा, सुबह होने पर, स्वाधिष्ठान चक्र को जागृत कर हमारे भीतर नई ऊर्जा और आनंद पैदा करती है। यह मुद्रा हमें क्रियाशील बनाती है और नया उत्साह भरती है। इससे हमारी हार्मोन प्रणाली संतुलित रहती है। जिन लोगों को सवेरे उठने में आलस्य महसूस होता है, वे सुबह उठते ही इस मुद्रा को बनाकर हाथ सिर के नीचे रखते हुए – चाहें तो वल्लभम् गजाननं एक दन्तं बीजमंत्र का चितंन मनन कर कई बार धीमी-गहरी-लंबी स्वांसों के साथ आंखों और मुख को खोलें।
विधि: दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसा लें। हथेलियों की दिशा ऊपर की ओर रखें और पुरूष दाएं हाथ का अंगूठा बाएं हाथ के अंगूठे के ऊपर रखकर हल्का सा दबाएं। महिलाएं इस मुद्रा को बनाते समय अपने दाएं हाथ के अंगूठे को बाएं हाथ के अंगूठे और तर्जनी उंगली के बीच रखें और हल्का सा दबाएं।