अपान ऐंवम वात नाशक हस्त मुद्राओं के नियमित अभ्यास से दांतों दोष, ह्रदय दुर्बलता, कब्ज, अधिक पसीना आना, शरीर की नाड़ियां, थकान, स्टेमिना, मेमोरी, नींद, जोडों का दर्द, सीने में दर्द, पेट में दर्द, सिर में दर्द, दांत में दर्द और कान में दर्द आदि में आराम मिलता है।
1. अपान हस्त मुद्रा:-

दोनों हाथों की मध्यमा और अनामिका अंगुलियों को अंगूठे के अग्रभाग से मिला कर रखें। तर्जनी और कनिष्ठा अंगुली सीधी रखे। इस मुद्रा का अभ्यास दो घड़ी यानि 48 मिनट करें। आप इसे 20+ मिनट के लिए दिन में दो बार बार भी सकते हैं। इसके अभ्यास से दांतों के दोष दूर रहते हैं और हृदय शक्तिशाली बनता है। कब्ज दूर होती है और शरीर की नाड़ियां शुद्ध होती हैं।
2. वात नाशक अथवा वात्त नाशक हस्त मुद्रा:-

दोनों हाथों की तर्जनी और मध्यमा अंगुलियों को मोड़कर हथेली में अंगूठों केे जड़ में लगा कर रखें व उन्हें अँगूूूठों से दबा कर रखें व अन्य अंगुलियों को सीधा रखें। इस मुद्रा का अभ्यास दिन में सुबह के समय 48 मिनट के लिए अथवा दिन में 2 बार 20+ मिनट के तक भी कर सकते हैं।
इस योग मुद्रा के अभ्यास से थकान दूर होती है, स्टेमिना बढ़ता है, मेमोरी अच्छी होती है, नींद अच्छी आती है, जोडों का दर्द, सीने में दर्द, पेट में दर्द, सिर में दर्द, दांत में दर्द और कान में दर्द आदि से आराम मिलता है। कब्ज और अधिक पसीना निकलने की परेशानी में राहत मिलती है।