Ingestion, Digestion, Absorption, Assimilation & Egestion / Elimination of Food (English/हिंदी में)

What is the difference between ingestion, digestion, absorption, and elimination?
Ingestion is taking food into the mouth for example.

Digestion is when the ingested food is now broken down into smaller building blocks. This may be achieved by mechanical means (chewing, churning) and chemical means (digestive enzymes of stomach and intestines).

Absorption is when the digested building blocks are now absorbed into the bloodstream or lymphatic system through the intestines and then transported to various cells, tissues, organs in the body.

Elimination is when waste products produced during digestion and absorption or left over after use by cells, or undigested remaints is now expelled from the body either via the urinary system as urine, digestive system as faeces, respiratory system as gases or integumentary system as perspiration.

One more concept is secretion, where glands secrete certain useful chemicals like enzymes or hormones that may aid in many life processes, including digestion.

हमारे पेट में भोजन जाने के बाद किस-किस प्रक्रिया से गुजरता है और उससे पोषक तत्व शरीर को कैसे मिलता है ?

हम मनुष्य के भीतर पाए जाने वाले मानव पाचन तंत्र में शामिल विभिन्न चरणों को समझेंगेः

  1. अंतर्ग्रहण या भोजन को खाना (Ingestion): मनुष्यों में भोजन मुंह के माध्यम से खाया जाता है और इसे हाथों की मदद से मुंह में डालते हैं |
  2. पाचन (Digestion): भोजन का पाचन मुंह से ही शुरु हो जाता है| पाचन की प्रक्रिया इस प्रकार होती हैः मुंह गुहा या मुख गुहिका (buccal cavity) में दांत, जीभ और लार ग्रंथियां होती हैं| दांत भोजन को छोटे– छोटे टुकड़ों में काटता है, उसे चबाता और पीसता है| इसलिए, दांत भौतिक पाचन में मदद करते हैं| हमारे मुंह में पाई जाने वाली लार ग्रंथियां लार बनाती हैं और जीभ की मदद से लार भोजन में मिलता है|

जैसा कि हम जानते हैं, लार एक प्रकार का जलीय तरल होता है, इसलिए यह भोजन को हमारे मुंह में गीला कर देता है और उसे आसानी से निगलने में मदद करता है| कई बार हम यह देखते हैं कि जब कभी हमारी नजर स्वादिष्ट खाने पर पड़ती है या हम स्वादिष्ट खाना खाते हैं, हमारे मुंह में ‘पानी’ आ जाता है| ऐसा लार ग्रंथियों द्वारा पैदा होने वाली लार के कारण होता है| एंजाइमों का स्राव कर लार ग्रंथियां रसायनिक पाचन में मदद करती हैं| मनुष्य की लार में एक एंजाइम पाया जाता है जिसे सलिवेरी एमाइलेज (लार एमाइलेज) (salivary amylase) कहते हैं| यह चीनी के लिए भोजन में मौजूद स्टार्च को पचाता है| इसलिए, स्टार्च या कार्बोहाइड्रेट का पाचन मुंह से ही शुरु हो जाता है| लेकिन भोजन बहुत कम समय के लिए मुंह में रहता है इसलिए, मुंह में भोजन का पाचन अधूरा रह जाता है|

अब, आहार नली यानि ग्रासनलि के माध्यम से थोड़ा पचा हुआ भोजन पेट में पहुंचता है| यह इस प्रकार होता हैः आहार नली की दीवारों में मांसपेशियां होती हैं जो बारी– बारी से सिकुड़ और फैल सकती है| जब थोड़ा पचा हुआ भोजन आहार नली में पहुंचता है, तो दीवारें सिकुड़ने और फैलने लगती हैं और इसे क्रमिक वृत्तों में सिकुड़ने वाला गति (peristaltic movement) कहते हैं और यह पेरिस्टॉल्टिक मूवमेंट भोजन को पेट के भीतर भेजता है|

अगर आपको खाना खाने या पचाने की कोई भी समस्या आ रही है तो अपना मेडिकल टेस्ट जरूर करवाए या डॉक्टर से परामर्श जरूर ले।

मानव पाचन तंत्र

पेट अंग्रेजी वर्णमाला के J अक्षर के आकार वाला अंग होता है जो पेट की बाईं तरफ होता है| भोजन पेट में करीब तीन घंटों तक पीसा जाता है| इस दौरान, भोजन और भी छोटे टुकड़ों में टूटता है और एक अर्ध–ठोस पेस्ट बनता है| पेट की दीवारों में उपस्थित ग्रंथियां अमाशय रस (gastric juice) का स्राव करती हैं और इसमें तीन पदार्थ होते हैं: हाइड्रोक्लोरिक एसिड, पेपसीन एंजाइम और म्युकस| हाइड्रोक्लोरिक एसिड की उपस्थिति के कारण भोजन अम्लीय प्रकृति का होता है और पेप्सीन एंजाइम बहुत छोटे कणों को बनाने के लिए भोजन में मौजूद प्रोटीन का पाचन शुरु कर देता है| इसलिए, प्रोटीन का पाचन पेट में शुरु होता है|

हाइड्रोक्लोरिक एसिड का कार्य हैः

क. यह पेप्सीन एंजाइम को सक्रिए बनाता है|

ख. यह भोजन के साथ पेट में पहुंच सकने वाले किसी भी बैक्टीरिया को मार देता है|

म्युकस पेट की दीवारों को उसके खुद के द्वारा स्रावित किए जाने वाले हाइड्रोक्लोरिक एसिड से बचाता है नहीं तो इस एसिड से पेट में अल्सर बन सकता है| आंशिक रूप से पचा भोजन पेट से छोटी आंत में जाता है| पेट से निकलने वाले भोजन ‘रंध्र संकोचक पेशी sphincter muscle’ द्वारा नियंत्रित किया जाता है| यह पेशी छोटी मात्रा में भोजन को छोटी आंत में भेजती है|

छोटी आंत आहार नली का सबसे बड़ा हिस्सा है| एक व्यस्क पुरुष में यह करीब 6.5 मीटर लंबी होती है| बहुत पतला होने के कारण इसे छोटी आंत भी कहा जाता है| छोटी आंत हमारे पेट में एक कुंडल के रूप में व्यवस्थित होती है| मनुष्यों में छोटी आंत भोजन के संपूर्ण पाचन यानि कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा, का स्थान होती है. यह इस प्रकार होता हैः

क. छोटी आंत दो ग्रंथियों के स्राव को प्राप्त करती हैः जिगर और अग्न्याशय| जिगर पित्त स्राव करता है| पित्त हरापन लिए पीला तरल होता है जो जिगर में बनता है और आमतौर पर पित्ताशय (gall bladder) में रहता है| पित्त क्षारीय होता है और इसमें लवण होता है जो भोजन में मौजूद वसा एवं लिपिड को रसायनिक रूप से तोड़ने में मदद करता है. यह पेट से आने वाले भोजन को अम्लीय से क्षारीय बना देता है ताकि अग्न्याशय उस पर काम कर सके. साथ ही यह भोजन में मौजूद वसा को छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है जिससे एंजाइम को उन पर काम करने और पचाने में आसानी होती है| अग्न्याशय बड़ी पत्ती के आकार जैसी ग्रंथि होता है जो पेट के समानांतर और उसके नीचे होता है| अग्न्याशय अग्न्याशय रस स्रावित करता है जिसमें अग्न्याशय एमिलेज, ट्रिपसिन और लाइपेज जैसे पाचक एंजाइम होते हैं. एमिलेज स्टार्ट को तोड़ता है, ट्रिपसिन प्रोटीन को पचाता है और लाइपेज रासायनिक रूप से टूट चुके वसा को तोड़ता है|

ख. छोटी आंत के दीवारों में उपस्थित ग्रंथियां आंत रस का स्राव करती हैं| आंत रस में कई प्रकार के एंजाइम होते हैं जो जटिल कार्बोहाइड्रेट का ग्लूकोज में, प्रोटीन का एमिनो एसिड में और वसा का फैटी एसिड और ग्लिसरॉल में पूर्ण पाचन करते हैं| ग्लूकोज, एमिनो एसिड, फैटी एसिड और ग्लिसरॉल छोटे, पानी में घुलनशील कण होते हैं| इस प्रकार, पाचन प्रक्रिया बड़े और छोटे अघुलनशील भोज्य कणों को छोटे, पानी में घुलनशील कणों में बदल देती है| भोजन का रसायनिक पाचन जैविक उत्प्रेरक जिन्हें एंजाइम कहा जाता है, से होता है|

  1. अवशोष (Absorption): पाचन के बाद भोजन के कण छोटे हो जाते हैं और छोटी आंत से होते हुए हमारे रक्त में पहुंचते हैं| इसलिए, हम कह सकते हैं कि छोटी आंत पचाये हुए भोजन के अवशोषण का मुख्य क्षेत्र है| छोटी आंत की भीतरी सतह में लाखों, उंगलियों जैसे प्रक्षेपण होते हैं जिन्हें विली कहा जाता है| ये अवशोषण के लिए बड़ा सतह क्षेत्र प्रदान करते हैं और पचा हुआ भोजन हमारे रक्त में जाता है|
  2. समावेश (Assimilation): रक्त पचाए हुए और घुले हुए भोजन को शरीर के सभी अंगों तक ले जाता है जहां यह कोशिका के रूप में समावेशित होता है| शरीर की कोशिकाएं समावेशित भोजन का प्रयोग ऊर्जा प्राप्त करने के साथ– साथ शरीर के विकास और मरम्मत के लिए भी करती हैं| अपचा भोजन यकृत में कार्बोहाइड्रेट के रूप में जमा होता है जिसे ग्लाइकोजेन कहते हैं और जरूरत पड़ने पर शरीर इसका उपयोग कर सकता है|
  3. मल–त्याग (Egestion): हमारे द्वारा खाए गए भोजन का वह हिस्सा जिसे हमारा शरीर नहीं पचा सकता. यह अनपचा भोजन छोटी आंत में अवशोषित नहीं हो सकता. इसलिए, अनपचा भोजन छोटी आंत से बड़ी आंत में जाता है| बड़ी आंत की दीवारें इस भोजन में से ज्यादातर पानी को सोख लेती हैं और उसे ठोस बना देती हैं| बड़ी आंत का अंतिम अंग जिसे रेक्टम कहते हैं, इस अनपचे भोजन को कुछ समय के लिए भंडार कर रखता है और अंत में गुदा द्वारा यह हमारे शरीर से मल के रूप में बाहर निकल जाता है. इस प्रक्रिया को मल– त्याग कहते हैं|

दंत क्षयः दांतों में छोटे गड्ढे या छेदों का बनना अम्ल– बनाने वाले बैक्टीरिया और दांतों की अनुचित देखभाल की वजह से होता है| इसे ही दंत क्षय कहते हैं| यदि दांतों को नियमित रूप से साफ न किया जाए तो वे भोजन के कणों और बैक्टीरिया कोशिकाओं के चिपचिपे, पीलापन लिए परत से ढंक जाएंगे| इसे दंत पट्टिका (Dental Plaque) कहते हैं।

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